Not known Facts About hanuman chalisa
Not known Facts About hanuman chalisa
Blog Article
The festive day is noticed with devotees gathering at Hanuman temples before dawn, and working day extensive spiritual recitations and Tale studying with regards to the victory of good in excess of evil.[8]
बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥ साधु सन्त के तुम रखवारे ।
Anytime Rama's weapon killed Ravana, immediately Ravana rose yet again. Wibisana, Ravana's sister who sided with Rama quickly questioned Hanoman to help you. Hanoman also lifted Mount Ungaran to slide on top of Ravana's corpse when Ravana experienced just died at the palms of Rama for the umpteenth time. Observing Hanuman's impudence, Rama also punished him to guard Ravana's grave. Rama believes that Ravana is still alive under the crush with the mountain, and at any time can launch his spirit to wreak havoc on the planet.
PavanatanayaPavanatanayaSon of wind god, Lord Hanuman sankataSankataTrouble / sorrow haranaHaranaRemover / banish mangalaMangalaAuspicious / blessing / joy mūrati MūratiStatue / embodiment rūpaRūpaForm
व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज ने श्री विभीषण जी को शरणागत होने का मन्त्र दिया था, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा हो गये।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥ बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
Rama will be the king of all, he would be the king of yogis. You managed all his responsibilities, or in other translation, He whoever takes refuge in Rama you might deal with all their tasks.
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा के पाठ की फलश्रुति इस तथा अगली चौपाई में बतलायी गयी है। संसार में किसी प्रकार के बन्धन से मुक्त होने के लिये प्रतिदिन सौ पाठ तथा दशांशरूप में ग्यारह पाठ, इस प्रकार एक सौ ग्यारह पाठ करना चाहिये। इससे व्यक्ति राघवेन्द्र प्रभु के सामीप्य का लाभ उठाकर अनन्त सुख प्राप्त करता है।
भावार्थ – आप सारी विद्याओं से सम्पन्न, गुणवान् और अत्यन्त चतुर हैं। आप भगवान् श्री राम का कार्य (संसार के कल्याण का कार्य) पूर्ण करनेके लिये तत्पर (उत्सुक) रहते हैं।
श्रुति रामकथा, मुख रामको नामु, हिएँ पुनि रामहिको थलु है ॥
मति रामहि सों, गति रामहि सों, रति रामसों, रामहि को बलु है।
व्याख्या – भजन अथवा सेवा का परम फल है more info हरिभक्ति की प्राप्ति। यदि भक्त को पुनः जन्म लेना पड़ा तो अवध आदि तीर्थों में जन्म लेकर प्रभु का परम भक्त बन जाता है।
भावार्थ – तपस्वी राम सारे संसार के राजा हैं। [ऐसे सर्वसमर्थ] प्रभु के समस्त कार्यों को आपने ही पूरा किया।